जोधपुर जिसके नाम में भी शान हैं। जोधपुर को जोधाणा और राजपुताना के नाम से भी जाना जाता हैं। इसका एक ही नाम नहीं हैं। जोधपुर में सूर्य का तेज इतना रहता है। की इसे सूर्य नगरी भी कहा जाता है। इसका पुराना इतिहास हैं। जोधपुर का इतिहास पुराना और दिलचस्प हैं। यहाँ की बोली, खानपान जोधपुर वालो का पहनावा सबसे हटके हैं। और ये सभी इसे सबसे अलग बनाते हैं। जोधपुर में ऐसी कई सारी जगह हैं। जो लोगों को कई पयर्टको को अपनी और आकर्षित करती हैं। हर साल हजारों की संख्या में लोग जोधपुर की सैर करने आते हैं। जोधपुर को ब्लू सिटी भी कहा जाता हैं। जोधपुर में घूमने के लिए यहां के मंदिर, महल, किला, हवेलियाँ, पैलेस और इसके अलावा घूमने और पयर्टको का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए कई सारे दिलचस्प पार्क, गार्डन, म्यूजियम बनाए गए हैं।
मेहरानगढ़ किला –
मेहरानगढ़ किला भारत देश के सबसे लोकप्रिय किलो में से एक हैं। यह किला ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ हैं। इसे ऊंची पहाड़ी पर बनाने का एक कारण यह भी था। शत्रुओं से अपने राज्य की रक्षा करने और अपनी प्रजा को बचाने के लिए ही इतनी ऊंचाई पर इस किले का निर्माण करवाया गया था। इस किले के ऊपर की दीवार से पूरा जोधपुर शहर दिखता हैं। और इस किले में इमारतों का निर्माण मुगल शैली में किया गया हैं। इस किले में मन को मोहित करने वाले कक्ष बने हुए हैं। जो की इस महल की ख़ूबसूरती को और निखार देते हैं। मोती महल यह महल का सबसे बड़ा और पुराना कक्ष हैं। फूल महल जिसके नाम से ही विशेष लगता हैं। इस कक्ष में चमकदार छत और कालीन वाले फर्श के साथ ही पूरा कक्ष खूबसूरत रंगों से सजा हुआ हैं। और शीश महल जो अनेकों कांच की विस्तृत आकर्ति से पूरा कक्ष सजा हुआ हैं। इस कक्ष को देखने पर हर जगह सुन्दर कांच ही नज़र आते हैं। और यह नजारा देखने में बेहद अद्भुत लगता हैं। इस महल में अनेकों कक्ष हैं, जो की अपनी अलग कलाकृति और संरचना के लिए अपनी अलग पहचान रखते हैं। दौलत खाना जैसे कई शानदार कक्ष हैं। जिससे नजरे नहीं हटती हैं। इस किले की एक और खास बात हैं। इस किले में 7 द्वार हैं। मेहरानगढ़ किले के नजदीक ही और भी बहुत सारे पर्यटक स्थल हैं।
उमेद भवन पैलेस –
उमेद भवन पैलेस जो की एक बहुत ही बड़ा संग्रहालय और एक शानदार हैरिटेज होटल के साथ ही एक बहुत ही खूबसूरत महल भी है।इसे आमतौर पर लोग चितर पैलेस के नाम से भी जाना जाता हैं। इस महल का नाम राजा के नाम पर रखा गया हैं। यह दिखने में बहुत ही भव्य है। यहाँ पर कई सारे सेलेब्रिटी अपने खूबसूरत पलो को यादगार बनाने आते हैं। उमेद भवन पैलेस कई सेलेब्रिटी की पहली पसंद बना हैं। यहां पर कई सारे कार्यक्रम, विवाह, प्री-वेडिंग शूट, फ़िल्मी शूट होते हैं। इस भवन में घूमने फिरने का समय फिक्स हैं। यह सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक ही आ सकते हैं। उसके बाद मुख्य गेट बंद हो जाता हैं। इस पैलेस में कई सारे संग्रह हैं। जैसे- हथियार संग्रह जिसमे राजा महाराजाओ की पुरानी तलवारे, बंदूके, कई अन्य प्रकार के दुर्लभ हथियार हैं। इसके अलावा यहां पर कपड़ा संग्रह हैं। जिसमें शाही परिवार के कपड़े, शॉल, पगड़ी, जूते कई सारी वस्तुओं का संग्रह हैं। ये काफी पुराने हैं लेकिन उनका संग्रह बखूबी किया गया हैं। पेन्टिंग संग्रह जिसमें राजा महाराजाओं की विशेष पेन्टिंग, भित्ति चित्र, लघु चित्र, कई महत्वपर्ण राजाओ के दृश्य भी शामिल हैं। उमेद भवन पैलेस में देखने के लिए कई सारी वस्तुएँ हैं। इस महल के बाहर एक बहुत ही सुन्दर हरा-भरा बड़ा बगीचा हैं। जिसमें फुवारे लगे हुए हैं। ये महल एक ऐसी होटल हैं, जो शाही हैं। और यही शाही चीजें पयर्टको को अपनी और आकर्षित करती हैं। इस महल में एक दुर्लभ संग्रह भी हैं। जिसमें प्राचीन घडिया हैं।

जसवंत थड़ा –
जसवंत थड़ा यह पर्यटको के लिए एक आकर्षण का केंद्र है। यह एक समाधि स्थल भी है। जो की बहुत ही शानदार हैं। यह दिखने में सफेद संगमरमर पत्थर से बनाया गया सुन्दर महल , मन्दिर जैसा लगता है। जो की दिखने में बहुत ही अद्भुत है। यह 19 वी शताब्दी का शाही केंद्र हैं जो की महाराजा जसवंत सिंह की याद में इसका निर्माण करवाया गया। इसमें संगमरमर की सुन्दर मूर्तियां भी बनी हुई हैं। इसकी तुलना ताजमहल से की गयी हैं। इसे मारवाड़ का ताजमहल भी कहा जाता हैं। यह मेहरानगढ़ दुर्ग के काफी नजदीक हैं। यह मेहरानगढ़ किले की तरह पहाड़ियों के बीच में बना हुआ हैं। इसमें मेहरानगढ़ किले की तरह विशेष गुंबंद हैं। जो की पयर्टकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। इसके पास ही एक शांत बगीचा जिसमे कई सारे सुन्दर फूल हैं। और इसके बीच ही एक सुन्दर, शांत तालाब हैं। इसे कई वास्तुशिल्प स्थलों में से एक माना जाता हैं। यहां पर घूमने का समय सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक हैं। जसवंत थड़ा हो या मेहरानगढ़ किला यहां पर अंदर घूमने के लिए कुछ शुल्क लगता हैं।

राव जोधा डेजर्ट रॉक पार्क –
राव जोधा डेजर्ट रॉक पार्क को राव जोधा गार्डन के नाम से भी जाना जाता है। यह पार्क बहुत ही बड़ा है। और चट्टानों से घिरा हुआ है। इसके भीतर विशिष्ट ज्वालामुखी चट्टानें है। और विशिष्ट वनस्पति, शुष्क भूमि और चट्टानी क्षेत्र बहाल है। और बलुआ पत्थर की सरचनांऐ आड़े-सीधे चट्टानी रास्ते किसी रोमांच से काम नहीं हैं। इस पार्क में आप सैर करने या घूमने के लिए आते हैं। तो आपको यहां पर कई चीजें एक साथ देखने को मिलेंगी। इस पार्क को कुछ इस प्रकार बनाया गया हैं, कि कोई बिना निर्देशों के अंदर जाए तो उसे यह भूल भूलैया जैसा लगे। यहाँ पर कई अनोखे पत्थर हैं। यहां पर एक मैप बुक भी दी जाती हैं। जो हमे अंदर की अनोखी चीजों को पहचानने में मदद करती हैं।

कायलाना झील –
कायलाना झील एक बहुत ही खूबसूरत और लोकप्रिय झील हैं। यह एक कृत्रिम और मानव निर्मित झील हैं। यह झील करीबन 84 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई हैं। जो की बहुत बड़ी हैं। यहां पर लोग बोटिंग का भी लुप्त उठाते हैं। जिसका शुल्क 100 रुपए से लेकर 500 रुपए तक हैं। यह झील इंदिरा गाँधी नहर से जुड़ी हुई हैं। इस झील पर सर्दियों के समय में अपना स्थान परिवर्तन करने के लिए साईबेरियन पक्षी यहाँ पर आते हैं। कायलाना झील पुरे जोधपुर वासियो को जलापूर्ति ही नहीं करवाती अपितु जोधपुर के आस-पास के गाँवो को भी जलापूर्ति करवाती हैं। यहां पर कई लोग घूमने तो कई लोग पिकनिक मानाने के लिए आते हैं। इस झील की एक और खास बात हैं। इस झील का सूर्यास्त का नजारा बहुत ही मनमोहक होता हैं। कई लोग तो यहाँ पर फोटो शूट करवाने के लिए भी आते हैं। इस झील के थोड़ा आगे जाने पर और भी कई सारी जगह हैं, जो खुद को सबसे अलग दिखती हैं।

तुरजी का झालरा –
तुरजी का झालरा जोधपुर का एक पर्यटक स्थल हैं। जो की काफी प्राचीन हैं। तुरजी का झालरा एक बावड़ी हैं। जिसके अंदर जाने के लिए सीढिया बनी हुई हैं। ये सीढिया इस झालरे की खुबसुरती को बढ़ा देती हैं। ये जटिल नक़्क़शी और एक ही आकर की सीढ़ियों की स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध हैं। इस बावड़ी पर हर साल कई विदेशी आते हैं। और इसके नज़ारे का लुप्त तो उठाते ही हैं। साथ ही इस बावड़ी में गोता भी लगते हैं। आज-कल लोग इस बावड़ी पर प्री-वेडिंग शूट करवाने, वीडियो बनाने, फोटो शूट के लिए भी आते हैं। इस बावड़ी के चारों ओर ऊपर से नीचे पानी की गहराई तक सीढिया बनी हुई हैं। वो भी बहुत ही अनोखे ढंग से जिसे ऊपर से देखने पर बहुत ही खूबसूरत नजारा लगता है।
