हमारे देश के ऐतिहासिक स्पेस मिशन पर शुभांशु शुक्ला जिसने अपने माता-पिता ही नहीं बल्कि पुरे देश का नाम रोशन किया हैं। इनका जन्म 10 अक्टूम्बर 1985 में उतर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ था। आज इन्हे हर कोई जानना चाहता हैं। वह फाइटर कॉम्बैट लीडर और साथ ही एक टेस्ट पायलट हैं। उन्होंने वो कर दिखाया हैं जो बहुत से लोगो का सपना ही रह जाता है।लेकिन इन्होने इस सपने को सच ही नहीं किया बल्कि साथ ही अपने देश का अपने जन्मभूमि का और साथ ही अपने माता-पिता का सर गर्व से ऊंचा कर दिया हैं।
नासा के कैनेडी सेंटर से अंतरिक्ष तक: लखनऊ का लाल
आज उनकी चर्चा हर जगह हैं। चाहे देश हो या विदेश इन्होने आसमान को चीरकर 25 जून 2025 को 12.01 बजे एक नया इतिहास रचा है। ये दिन उनके लिए बहुत ही अहम था। उन्होंने नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से AX-4 मिशन के जरिए अंतरराष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन के लिए आसमान को चीरते हुए उड़ान भरी है। इस मिशन पर यह अकेले ही नहीं हैं। उनके साथ दूसरे देश के एस्ट्रोनॉट भी शामिल हुए हैं। उनके साथ हंगरी और पोलेंड समेत तीन अन्य देशो के एस्ट्रेनॉट भी हैं। इस दिन के लिए वह की एक साल की कड़ी मेहनत लगी हैं।

1984 के बाद पहली बार: भारत के शुभांशु शुक्ला ने रचा अंतरिक्ष में इतिहास
उन्होंने एक साल तक कड़ी ट्रेनिंग के बाद ये मुकाम हासिल किया है। उन्हें एक साल कड़ी ट्रेनिंग के बाद ही इस स्पेस मिशन के लिए चुना गया। उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई। इनसे पहले 3 अप्रैल 1984 में राकेश शर्मा स्पेस मिशन पर गए थे। आज भी, उनका नाम लोगों की स्मृति में बना हुआ है। राकेश शर्मा के बाद 41वर्षों बाद भारत ने एक बार फिर से एक भारतीय को मानव मिशन के तहत अन्तरिक्ष में भेजा हैं। यह पहले भारतीय होंगे।
ये अन्तरिक्ष यात्रा का मिशन कुल 14 दिनों का होगा। यह मिशन भारत के लिए एक ऐतिहासिक मिशन है। इसके साथ ही पोलेंड और हंगरी के लिए यह मिशन एक सपने को सच करने से भी बड़ा है। क्योकि इन दोनों देशो ने 40 सालो बाद पहली बार इस मिशन में हिस्सा लिया हैं। ये पहली बार होगा की ये तीनो देश एक साथ एक सयुंक्त के तहत जा रहे हैं।