राजस्थान की एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में कई पारंपरिक त्योहार और मेले शामिल है, जो राज्य की परंपराओं और लोक संस्कृति को दर्शाते हैं ऐसे ही एक प्रसिद्ध लोक उत्सव राजस्थान के जोधपुर जिले में मनाया जाता है।
आज से 7 – 8 साल पहले शुरू हुई यह सामूहिक गैर चैनपुरा। जिसमे उस वक्त लगभग 3 – 4 बेरो की गैरे ही शामिल हुआ करती थी। जैसे-जैसे लोगो का उत्सव बढ़ता गया वैसे-वैसे और भी बेरो की गैर इसमें शामिल हुई।
गैर राजस्थान का एक प्रमुख लोक नृत्य है जो विशेष रूप से होली के अवसर पर किया जाता है। यह नृत्य सामूहिक रूप से एक साथ ताल मेल से किया जाता है। चैनपुरा गांव में मनाए जाने वाली यह सामूहिक गैर, चैनपुरा गांव से शुरू होकर, गोकुल जी की प्याऊ से होते हुए, लाल सागर हनुमान जी के मंदिर पर समापन होती।
सामूहिक गैर चैनपुरा का आयोजन होली के अगले दिन, रामा सामा के दिन किया जाता है यह कार्यक्रम लगभग दोपहर की 3:30 बजे आरंभ हो जाता है और इसका समापन लगभग रात के 8:00 लाल सागर हनुमान जी के मंदिर पर समाप्त हो जाता है।
सामूहिक गैस चैनपुरा, सिर्फ चैनपुरा के व्यक्ति ही हिस्सा नहीं लेते है बल्कि इसे देखने के लिए दूसरे देशों से भी लोग आते है और इसमें हिस्सा भी लेते हैं।
चैनपुरा गांव के अंदर इस सामूहिक गैर के अलावा एक दूसरी गैर भी होती है जो की पूरी रात चलती रहती है जिसमें व्यक्ति है जो लोक नृत्य का आनंद लेते हैं और यह गैर दिनांक 21 मार्च 2025 को शाम के 8:00 बजे प्रारंभ होगी और लगभग अगले दिन सुबह के 7:00 है जो इसका समापन हो जाएगा।
सामूहिक गैर चैनपुरा की खासियत:
- सामूहिक गैस चैनपुरा को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
- इसमें पारंपरिक वेशभूषा का विशेष महत्व होता है जिसमें नाचने वाले व्यक्ति यह वेशभूषा पहन कर आते हैं और इन नाचने वाले व्यक्तियो को छैल कहा जाता है।
- यह नृत्य भाईचारा, एकता और खुशी का प्रत्येक माना जाता है।
- चैनपुरा में सामूहिक गै़र के दौरान अभद्र भाषा वाले फागण का उपयोग नहीं किया जाता, जिससे हर व्यक्ति, चाहे वह बच्चा हो, बुजुर्ग हो या महिला, सहजता से इसमें शामिल हो सकता है। यही बात इस गै़र की सुंदरता को और भी बढ़ा देती है।
- इस गै़र में शामिल होने वाले लोग इसकी व्यवस्था को बनाए रखते हैं।
- सामूहिक गैर चैनपुरा में हर जाति का व्यक्ति इसमें शामिल होता है।