राजस्थान के जोधपुर जिले के मंडोर क्षेत्र में शिवलाल नथू जी टाक सीनियर सेकेंडरी स्कूल, मंडोर स्कूल के पास, एक ऐसी घटना हुई, जो मानव जाति को शर्मसार कर दे। यह कब तक होता रहेगा? स्कूल के पास किसी ने मानव भ्रूण को कूड़े कचरे में डाल दिया। जब इसकी खबर स्कूल के प्रिंसिपल को लगी, तो उन्होंने तुरंत ही इसकी सूचना पुलिस और प्रशासन को दी। पुलिस इसकी जाँच पड़ताल में जुट गई। स्कूल के पास ही मेन चौराहा और आसपास कई दूकाने हैं।
आस पास सीसीटीवी कैमरे लगे होने की सूचना मिली है। जल्द ही पुलिस इस मामले को सुलझा लेगी, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है। आख़िर कब तक लोग, इसी तरह, कभी भ्रूण, तो कभी नवजात शिशु को ऐसे ही ज़िंदा, तो कभी मृत फेककर चले जाते हैं।
यह काम किसी ने रात के समय में ही किया होगा। क्योंकि यह स्कूल मेन चौराहा पर है, और सुबह के समय बच्चे स्कूल जाते हैं। दिन भर यहाँ पर चहल-पहल रहती है कोई भी ऐसा काम दिन के समय में बिल्कुल नहीं कर सकता है। इस स्कूल के बाहर एक बढ़ा कूड़ेदान है। इसी का फ़ायदा उठाकर किसी ने इस घटना को अंजाम दिया है। यह काम किसी का भी हो सकता है। पुलिस जाँच में लग गई है।
यह एक बड़े चर्चा का विषय है, क्योंकि इस इलाके में ऐसा मामला पहली बार सामने आया है। इस स्कूल के कुछ दूरी पर एक हॉस्पिटल भी है। आकांशा जताई जा रही है की यह मानव भ्रूण किसी ने हॉस्पिटल जाने के बाद इस मानव भ्रूण को रास्ते में कूड़े में फेंक दिया हो।
मानव भ्रूण हत्या के पीछे आज भी वही पुरानी सोच
जोधपुर शहर में पहले क्राइम का नामो निशान नहीं था। लेकिन आज-कल यह शहर भी दिल्ली-मुंबई की तरह होता जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है की बाहरी लोगो का आवागमन और साथ ही मोबाइल का बढ़ता दुरुपयोग। लोग अच्छी चीजे तो कम देखते हैं लेकिन बुरी सबसे पहले। लोगो की सोच आज भी पहले जैसी ही है। जमाना बदल गया, देश आगे बढ़ गया, लेकिन कुछ लोग आज भी उसी जगह पर हैं।
भ्रूण हतिया कोई छोटा अपराध नहीं है। यह एक पाप है। किसी भी निर्दोष जीव से उसकी जिंदगी छीन लेना, दुनिया देखने से पहले ही, उसे दुनिया से विदा कर देना। ऐसे लोगों पर सक्त कार्रवाई होनी चाहिए। ताकि समाज में कोई भी ऐसा अपराध ना करे। और ना ही ऐसा करने के बारे में सोचे, एक मासूम को कूड़े में फेंक देना। इससे बड़ा कोई पाप नहीं हो सकता।
आज भी लड़कियों को बोझ समझा जाता है। उन्हें पैदा होते ही मार दिया जाता हैं। आख़िर कब तक बेटिया ऐसे ही दम तोड़ती रहेगी। सबके जुल्म सेहती रहेगी। कब तक उनकी आवाज़ को दबाया जाता रहेगा। आख़िर कब तक ये ऐसा ही चलता रहेगा।